बहुत अजीब बंदिशें हैं, इश्क की फ़क़त,
न उसने कैद रखा, न ही हम फरार हुए....
तमाम उम्र की गर्दिशें, हैं एक हँसी की नेमतें,
ना ही बहला दिल हमारा, न ही हम बेजार हुए......
हमने सुना इश्क दरिया, आग का होता मगर,
न ही उसमे डूब पाये, ना ही हम उस पार हुए.....
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