Wednesday, January 13, 2010

सपनो का आशियाँ

सपने सच होते अगर तो, एक बनाता आशियाँ,
खुशनुमा रंगी महल, जहाँ कदमो तले हो अह्कशां...

कल्पना की छत तले, सपनो से सजे फर्श हो,,
दीवार के हर एक कण में, उम्मीद का स्पर्श हो,
नीव का हर एक पत्थर, विश्वास से होता जमा,
खुशनुमा रंगी महल जहाँ कदमो तले हो अह्कशां......

आवभगत करते दरवाजे, नम्रता की दहलीज़ हो,,
उल्लास वर्णों से रंगी कमरे की हर एक चीज़ हो,
आरज़ू के निकुंज में, होता अनुभवी बागबां,
खुशनुमा रंगी महल, जहाँ कदमो तले हो अह्कशां......

आस्था के स्वरुप का, उपासना स्थान हो,
न रहीम, न यीशू, न ही वो भगवान हो, `
स्वछन्द मुक्त भावों में, विकारो का न हो निशाँ,
खुशनुमा रंगी महल, जहाँ कदमो तले हो अह्कशां......

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