Wednesday, August 24, 2011

सांठ-गाँठ

ऐ विपक्षी दोस्त जाने तू भी , यह सब क्या गोरखधंधा है,
वो कहते हैं जिसे जन लोकपाल, अपने लिए वो फंदा है.....

अनशन, अहिंसा,आदर्श लेकर, खुद को वो गाँधी कहते हैं,
जानो तुम भी, जाने हम भी, तिजोरी में गाँधी रहते हैं
चलो ढाल बना लो कानून को, सिर्फ वही तो अँधा है,
क्यूंकि कहते हैं जिसे जन लोकपाल, अपने लिए वो फंदा है.....

कितने दिन जनता धरना देगी, कितने दिन शोर मचाएगी,
कुछ दिन कोसेगी हमको, फिर अपने काम को जाएगी,
हम करते रहेंगे काम अपना, क्योंकि भ्रष्टाचार हमारा धंधा है,
वो कहते हैं जिसे जन लोकपाल, अपने लिए वो फंदा है......

दो दुहाई संसद की गरिमा की, जहाँ हम जैसे बसते हैं,
चप्पल, जूते, माइक चलाते, एक दूजे पर ताने कसते हैं,
यही प्रक्रिया है संसद की, क्यूँ इसको कहते वो गन्दा हैं,
वो कहते हैं जिसे जन लोकपाल, अपने लिए वो फंदा है......

हाथ मिला लो हमसे तुम भी, मिलकर क़ानून बनायेंगे,
चाट तलवे अंग्रेजो की पड़ोसन के, हम भ्रष्टाचार फेलायेंगे,
डरो न तुम इस जनता से, उनके लिए लाठी और डंडा है,
वो कहते हैं जिसे जन लोकपाल, अपने लिए वो फंदा है......