यह अजब सी दास्ताँ, किसने लिखी किसने पढ़ी,
एक बार तेरा हाथ थामा, और ज़िन्दगी बस चल पड़ी
झुकती नज़रों में तमन्ना, न जाने कितने घर लिए,
उड़ रही थी हसरतें, ख़्वाबों के नए कुछ पर लिए,
अनवरत लहरों सी आरज़ू, साहिल से मिलने चल पड़ी....
एक बार तेरा हाथ थामा, और ज़िन्दगी बस चल पड़ी....
पहले लम्हे से चल पड़े, कुछ अजनबी से कारवाँ,
दिल की तमन्ना ने देखा, एक नया सा एह्कशां,
चलते रहें बस साथ यूँ ही जोड़ते सपने हर घडी.....
एक बार तेरा हाथ थामा, और ज़िन्दगी बस चल पड़ी...v
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