Wednesday, December 9, 2009

कब जाने खुद को भूल गया

खड़ा रहा उस रस्ते पर,
पर पीछे मुड़ना भूल गया...
न आज के साथ मै चल पाया,
और पिछला कल भी भूल गया....
बड़े नामों की दुनिया में,
मै काम बड़े करता आया....
पर छोटी छोटी बातों पर,
मै खिलकर हँसना भूल गया.....


बिना किसी को साथ लिए,
मै सात समुन्दर फिर आया....
पर घर को जाने वाली नन्ही,
उन गलियों को मै भूल गया.....


कर मेल जोल सब लोगों से,
कई दोस्त बनाए मिल मिल के....
दो लफ्ज़ सुनने को घर बैठी,
माँ से बात मै करना भूल गया.....
खूब कमाई की मैने,
और नाम कमाया दुनिया में....
पर खुद को साबित करने में,
कब जाने खुद को भूल गया....

7 comments: